Sunday, 1 March 2009

सुपर गर्ल फ्रेंड

मेरी प्यारी सुपर गर्ल फ्रेंड,
तुम्हारी हरकतों से मैं आब परेशान हो चुका हूँ, बिना टिकेट के हवाई यात्रा करके मैं तंग आ चुका हूँ
वो तुम्हा सुपर Vision मुझे किसी और से फ्लिर्ट मारने नहीं देता
कभी कुछ कहीं करा रहा होता हूँ तो तुम वहां टपक पढ़ती हूँ और फ़िर ,
राम बचाए न जाने किस किस के घर पे मुझे पटकती हूँ
मैं अदना सा आदमी तुम्हारे सामने बेबस पढ़ जाता हूँ
हर गलती के बाद चुप चाप तुमसे पिट ता हूँ , और अगले दिन न पीटने की कामना करते जाता हूँ
मेरी सोशल लाइफ की तो तुमने बैंड ही बजादी हैं, मेरे दोस्त और मेरी सहेलियूं (GF's) की जान कई बार निकली हैं
आब वो मुझसे मिलना पसंद नहीं करते, तुमसे ब्रेक उप कर लूँ ऐसी सलाहाओ से मेरे कान हैं भरते
कहीं भी जाता हूँ तुम्हारा terror मुझे सताता हैं, बाथरूम तक मई तुम्हारा ये X-ray visioN साथ आता हैं
दुनिया के लिए तुम सुपर हीरो हो, पर मेरी ज़िन्दगी की सुपर विल्लन बनना बंद कर दो
या तो साधारण लड़की की तरह मेरे साथ रहो या मुझे तुम्हे छोड़ने की आगया प्रदान कर दो
जनता हूँ इसके बाद फ़िर उठा पटक करोगी मेरी शरीर को अस्त व्यस्त करोगी
पर मैं भी आम आदमी हूँ आम आदमी की ज़िन्दगी चाहता हूँ पिटने की आदत हैं एक बार और सही,पिट लूँगा
एक सुपर गर्ल फ्रेंड नहीं, एक प्यार करने वाली प्यारी सी नोर्मल लड़की को पाकर ही दम लूँगा
या तो तुम नोर्मल हो जाओ, या मुझे सुपर पॉवर दिलाओ
कुछ और नहीं कर सकती तो अपने ज़िन्दगी का सुपर हीरो बनाओ
वरना मैं तुमसे पीटने का इन्ताजार तो कर ही रहा हूँ
भवदीय
नोर्मल बॉय फ्रेंड

अजीब

सुबह से रात शुरू हो जाती है खामोशियों मैं बात शुरू हो जाती है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है
पेड़ की छावं मैं शरीर जलता है , रेगिस्तान का सूरज मुझे सर्द करता है
घड़ी के कांटे उल्टे चलते नज़र आते है, दिसम्बर के बाद नवम्बर और फ़िर अगस्त आता दिखने लगता है
मान परेशां हो उठता है तो थका लगता हूँ, और खुस होता हूँ तो गुम्सुस्म हो जाता हूँ
जी हाँ मैं अदाकार हूँ, कलाकार हूँ अपने भावः छुपाना जनता हूँ
चाहे जो हो कहा जाता हैं "शो मुस्त गो ओन्" बस यही एक बात जानता हूँ
सुबह को दिन मानता हूँ, और वास्तविकता से सबको दूर ले जाता हूँ
मैं अदाकार हूँ अपने मध्यम से आपको सपने दिखता हूँ , आपका बस थोड़ा ध्यान चाहता हूँ
कभी हस्ते हस्ते रोता हूँ कभी झूट मैं मर जाता हूँ कभी बिना चोट के खून निकालता हूँ
और कभी रोते हुए भी आपको हसता हूँ, मेरा कोई अस्तित्व नहीं हैं
बस आत्मा जिससे शरीर बदलती हैं मैं किरदार बदलता हूँ, और आपको नायेपान की फीलिंग देता हूँ
जी हाँ मैं किरदार के साथ जीने लगता हूँ, वैसा सोचने लगता हूँ
फ़िर थोड़े दिनों मैं उस किरदार की हत्या करके नए किरदार को अपनाता हूँ
ऐसा नजाने कितने लोगो के खून का इल्जाम, इस खयाली दुनिया मैं अपने सर पे लगाता हूँ
मैं अदाकार हूँ बस अदाकारी जानता हूँ, प्यार, नफरत बस भावः हैं यही मानता हों
प्यार होता है कभी या नफरत हो जाती हैं तो उसे किसी नए किरदार मैं उतरता हूँ
अदाकार हूँ मुझे बस यही शिकायत हैं ख़ुद से की मेरी
सुबह से रात शुरू हो जाती है खामोशियों मैं बात शुरू हो जाती है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है