कल कुछ आपनी ही उधेड़बुन मैं था, खोया था मैं खयालो में, ढूँढ रहा था सवाल आपने सवालो में
अगर खुशी मिल जाए आज तो, कल क्या रहेगी इसीके ख्याल मैं ये खुशी निकल जायेगी |
आधी ज़िन्दगी बीत जायेगी इस ख्याल में की आगे का क्या?और बाकि आधी इसी ख्याल में की पहले ये क्यों किया
हम क्यों नहीं आपने आज में जी पाते हैं, कल की फ़िक्र कल पर छोड़ के हम क्यों नहीं खुल के खुशी बनते हैं |
मेरी खुशी को कही किसी और की नज़र न लगे इसलिए पड़ोसी से तो छोड़ो अपने रिश्तेदारों से भी छुपाते हैं
हर पल हर समय एक इन्सेकुरिटी सी महसूस करते हैं, जिससे प्यार करते हैं, उसी पे सबसे जादा शक करते हैं |
इसके घर में ये हुआ उसके घर में वो आया की उधेड़बुन में ख़ुद के घर को नज़रंदाज़ करते हैं
अपने सर पर मुसीबत आती हैं तो वो मुसीबत लगती हैं, दुसरो की मुसीबत मुसीबत कहाँ लगती हैं
कहीं कोई गिरा होता है तो बस यही सोच के आगे बढ़ जाते हैं , कोई तो उठा ही लेगा
जब ख़ुद ठोकर खाते हैं तो सहारा तो छोटी चीज्ज़ हैं मरहम ही आस लगा लेते हैं
न सहारा मिलता हैं न मरहम तो कहते हैं दुनिया कितनी बेदर्द हैं, जालिम हैं मतलबी है
इसे जालिम मतलबी हम ने ही तो बनाया हैं, हर छोटी बड़ी चीज़ के ज़िम्मेदारी कही न कहीं हमारी ही हैं
वो थोडी सी लापरवाही, वो थोडी सी लालच, वो थोड़ा सी जिम्मेदारी न निभाना सब कुछ
दिल से कोई बुरा नहीं होता, उसके आसपास के हालत उन्हें ऐसा बनने पे मजबूर करते हैं
ऐसा कमज़ोर कैरेक्टर के लोग कहते हैं, जिनका ज़मीर बहुत कमज़ोर होता हैं
अगर हम आज से ही सही निति अपनाए जिम्मेदारियां पूरी करें लापर्वाव्ही न करे तो ऊपर लिखी कोई चीज़
हमारे दूर दूर तक नही आएगी, और ये ज़िन्दगी आची हो जायेगी
वापिस अपनी उधेड़बुन से वापिस आता हूँ , कहीं और अपने खयालो का जाल बनता हूँ
बिरेन भाटिया
4 comments:
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ............
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलंू ऽऽऽऽऽऽऽऽ
ये मेरे ख्वाब की दुनिया नहीं सही, लेकिन
अब आ गया हूं तो दो दिन क़याम करता चलूं
-(बकौल मूल शायर)
आपने अच्छा लिखा मेरे ब्लोग पर आने की जहमत उठाए। आपका स्वागत है।
हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका तहेदिल से स्वागत है....
सुंदर अभिव्यक्ति,
आप अच्छा लिखते हैं ,आपको पढ़कर खुशी हुई
साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है ,
यूँ ही लिखते रही हमें भी उर्जा मिलेगी ,
धन्यवाद
मयूर
अपनी अपनी डगर
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