Sunday 28 March 2010

तुम

आंसू  भी  सुख  गए  ..
तेरी  तस्वीर  से   रंग  गए ....
तू  नहीं  पर  तेरी  यादें  थी  यही
तेरे  सिवा  मेरा  अपना  कोई  नहीं .....
जाना  था  तुझे , पाना  था  तुझे .....
एक  ही पल  में  अपना  सबकुछ माना  था  तुझे
फिर  एक   पल  में  हम तुमसे  जुदा  हो  गए
हम  नजाने  फिर  से  क्यों  अनजाने  हो  गए .....
सोचा  था  जी  लूँगा  बिना  तेरे  यहाँ
पर तेरी  यादो  से  बच  के  जाऊँगा  मैं कहाँ
तुझे  भुला  नहीं  पता  हूँ
तेरी  यादों  मैं  तन्हाई  से  लिपट सा  जाता  हूँ
आंसू  आब  नम  हो  गए  हैं .....
तुम्हारी  याद  मैं  इस जीवन  के  पल  और काम  हो  गए  हैं
तुम  वापिस  आओगे  मेरे  पास,
बस  यही  करता रहता  है   दिल  मेरा,  याद करते हुए आस |

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बीरेन भाटिया