Saturday, 3 December 2011

तू और मैं .....

तुझ पे हैं ये एहसान,
बना दिया मैंने तुझको इंसान 
होना था कुछ और तुझे
बना दिया साला इंसान बेवजह
अब तू इंसान कहलाता हैं
पर तुझमे और जानवरों मैं फर्क कहा नज़र आता हैं
मार कट, लव सेक्स और धोखा सब हैं तेरे पास
टाइम आने पे जरूरत मैं कर ही लेता हैं तू मेरी अरदास
भुला बैठा है तू इंसानियत, तो मैं भी भुला बैठा हूँ तुझे
इंसानियत भुला दी हैं तुने, बस आब ख़तम भी कर दूंगा जल्द ही तुझे ! ................

Saturday, 15 October 2011

भागम भाग

हम सारी उम्र भागने मैं निकाल देते हैं ....और शायद ऐसी चीजों के लिए जिनके पाने के बाद हमें लगता है साला...इसके लिए की थी भागदौड़....
हम अपने सपने छोड़ के किसी और के सपनो को पूरा करने भागता है .....खुद सपने देखना भूल जाते हैं दुसरो के सपनो मैं जीते हैं ...
अपना कोई सपना साला आये भी तो ....सोचते हैं ,... ये तो वहम हैं भाई ....जागो जो सपने के पीछे भाग रहे थे उठो ....फिर से भागो ...
भागना  ....इन्सान की प्रवति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं .....बचपन मैं माँ - बाबा की पिटाई से भागना...
पडोसी का कांच तोड़ के भागना .... किसी के साथ मस्करी कर डांट, मार ना पढ़ जाये इसके लिए भागना...
स्कूल ना जाने से भागना ....स्कूल जाके स्कूल बंक करके भागना...
स्कूल मैं प्यार हो जाये तो लड़की के पीछे भागना ...
उसके भाई या बापू को पता चले तो उनकी पिटाई से बचने के लिए भागना
अब्सेंट हो जाये तो दोस्तों के पीछे home वर्क के लिए भागना ...
10 -11 th  क्लास के बाद माँ बाप से बहन - भाई से दूर भागना ....
मैं बड़ा हो गया हूँ ये सोच के ....बड़ो से भागना उनकी सलाह से भागना
स्कूल के बाद कॉलेज के लिए भागना ....कॉलेज मैं अब्सेंट ना हो जाये XX ना लग जाये ..इसके लिए ना चाहते हुए भागना
कॉलेज मैं भी प्यार हो जाये तो लड़की के पीछे भागना...
और प्यार नहीं हो, तो प्यार की खोज मैं भागना ..
फिनाल इयर मैं ...जॉब की तलाश मैं यहाँ वहां भागना......और उससे पहले के सालों मैं RESUME  को अच्छा करने के लिए यहाँ वहां भागना ...
जॉब ज्वाइन करके satisfaction ना पाके,  नए जॉब के पीछे भागना
और कुछ नहीं तो MBA , CFA  etc के पीछे भागना की कहें तो कुछ नया ह़ो
जॉब मैं रहके गर्ल फ्रेंड बनाने के लिए यहाँ वहां भागना .....
कुछ टाइम जॉब मैं काम से भागना....बॉस के सामने दिखने के लिए भागना ....
अपने दोस्तों की settled / unsettled लाइफ से जल के या डर के अपनी लाइफ को अच्छा करने की आस लेके भागना ...
दोस्तों के सवालो के जवाब ना देना पढ़े इसलिए उनके फ़ोन, समस, चाट से यहाँ तक की उनकी लाइफ के सलेब्रतिओं से भागना ....
कुछ ना ह़ो तो कुछ करने के लिए भागना..... प्यार नहीं हुआ तो सेत्तले होने के लिए शादी के लिए लड़की देखने के लिए ...यहाँ वहां भागना
शादी होने के बाद एकांत ढूँढने के लिए भागना.... ...
थोड़े टाइम बाद रिश्तो को सरदर्द समझ के रिश्तो से भागना.....अपनी monotonous लाइफ से बोरियत दूर करने के लिए भागना ...
थक हार के भी ....बच्चो के साथ भागना ....बच्चो के पीछे भागना .....उनके स्कूल कॉलेज की जरूरतों को पूरा करने के लिए भागना ....
भागना भागना ,,,,,,,और भागना......और इसी भागम भाग मैं हम खुद से  ही भागने लगते हैं .....
और जब साला retirement   के बाद खुद के लिए टाइम मिलता हैं भागम भाग से मुक्ति मिलती हैं तो
हमें लगता हैं जन्दगी साली कितनी बेईमान हैं ....कितना भागती हैं ....और हमें अपने पीछे भागाति रहती हैं ....भागती रहती हैं  ......भागाति रहती है..

Wednesday, 10 August 2011

कुछ दोस्त

कुछ दोस्त यूहीं जुड़ते हैं फिर भीड़ मैं खो जाते हैं , और कई चेहरे इस दोस्त खाने वाली भीड़ मे अपने से नज़र आते हैं
कुछ हमें छोड़ देते हैं और कुछ को हम पीछे छोड़ आते हैं , ना जाने कितने नए चेहरों से 'हम' जुड़ जाते हैं
हम पुराने दोस्तों को खोके  उनकी यादों  को भी भीड़ मैं खो देते हैं, पर
असलियत तो ये हैं उनकी यादे हमारे ज़हन के किसी भीतरी कोने मैं छुपी होती हैं
और जब भी हमें वो यादे याद आते हैं .,..आँखों मैं नमी और लबो पे हसी ले आते हैं
हमें हमारे  बीते वक़्त मैं ले जाते है , वो मस्ती वो मज़ा वो प्यार वो तकरार वो बात बात पे लड़ना और वो यू पल मैं ही मन जाना
वो पैसे जुगाड़ करके मूवी जाना, और मूवी से जादा बाजु मैं बैठे couple को देखना
वो बिना प्लान करी गयी ट्रिप्स वो सारे मजाक वो बात बात मे टांग खीचना
आप सोचते हैं आप भुला चुके है पर आपके ज़हन के किसी कोने मैं वो अभी भी छुपी होती हैं .....
हम नए दोस्त तो बना लेते हैं .....पर उनमें भी हमारे पुराने दोस्तों को तलाशते है .....
बिलकुल उसके जैसा हैं ...क्या यार इसे क्यूँ दोस्त बनाया इससे आचा तो अपना XYZ  था
बस इसी सोच विचार मैं इसी तरह से बदलती दोस्ती और प्यार मैं हम जीते जाते हैं
भीड़ मे  ही दोस्तों को खोते हैं और उसी दोस्त खाने वाली भीड़ मैं से नए दोस्त बना जाते हैं  .......

Wednesday, 27 July 2011

सोच

सोचना एक अपराध  सा बनता जा रहा हैं मेर लिए ..
कब क्या क्यूँ ? ये वो  ..ना जाने क्या क्या सवाल आते है  दिमाग मैं और जब इन सवालो के जवाबों को तलाशने जाता हूँ तो नजाने मन कहाँ भटक जाता है दिल साला कही और की सोचने लगता ..
ये साली सोच बड़ी ही खतरनाक चीज है ना जाने किसको क्या बना देती हैं चूतिये को सुपर हीरो, और हीरो को सुपर विल्लन बन देती है 
एक सोच मेरी भी .....एक क्या अनेको चीजो को सोचता हूँ एक साथ ....इसी के चलते सब रिश्ते नाते दोस्त प्यार व्यार सब साला भुला बैठा हूँ 
अजीब सा हो गया हूँ इस सोच के चलते ....या अजीब था और अजीब सोचने लगा हूँ और अब जो हूँ वो दोनों का मिश्रित फल हैं 
जमाना हो गया किसी दोस्त से बात किये ...सोचता हूँ क्या कभी दोस्त भी बनाये थे ?..या बस ...HI HELLO  वाले साथी थे  ?
मैं उनको शायद कभी याद कर लेता हूँ और उनसे बात करने के लिए फ़ोन उठता भी हूँ बुत ये सोच "साले उनको मैं कभी याद नहीं आता वो मेरे बारे मैं कभी नहीं "सोचते " क्या ?
या वो लोग भी ऐसी ही किसी सोच का शिकार होके मुझे और बाकि दोस्तों से दूरी बनाये हुए हैं ....?
चलो दोस्तों को तो छोड़ो ...हद तो ये है की रिश्तेदार ....तक कभी खोज खबर नहीं लेते.....चाहे मुझे कुछ भी हुआ हो  ..
मजाल हो मुझे कोई फ़ोन कर ले....सब हाल हवाल लेते है मेरी माता जी से ...पता नहीं क्यों ? 
सोच यहाँ फिर पनप जाती हैं और रिश्तेदारों से साली  दूरी अपने आप पनप जाती हैं !
कभी कभी सब से बात करना मिस करता हूँ,वो कॉलेज की मस्ती वो बचपन मैं "SO CALLED "प्यार मिस करता हूँ 
वो बुआ मासी मामा ....सब को मिस तो करता हूँ पर कभी ..अपनी सोच से हट के CONTACT नहीं करता हूँ   
सोचता हूँ सोचता हूँ ....अजीब हैं पर पता नहीं ...अब साला सोचने मैं ही सुकून मिलता हैं !

Saturday, 26 February 2011

few things I wrote in past few weeks

The book of LIFE should contain few chapter on your failures ...
a few on your success, a few on your learning's and many blank pages to write the new chapters ......yourself ;)
 
You cannot change His PLAN but you can change yourself so that He changes His PLAN according to new you !

Tuesday, 18 January 2011

नींद से लड़ाई

 THIS ONE came off in general was telling something to my frnd and eventually idea of this came out

कभी नींद के आगोश से निकल के देखो ...कभी वो आती हुई नींद से लड़के देखो.. 
वो उबासी से कहना जा थोड़ी देर बाद आना...वो नींद से लड़ना करना कोई बहाना
वो बैठे बैठे आँखो को बंद होने से रोकना ज़रा, वो थोड़ी देर और कंट्रोल करना नींद को उनके लिए ज़रा..इसी मैं तो मज़ा हैं

कभी किसी से बात करते हुए सोने का मज़ा लेना ...कभी नींद मैं बात करना और कभी बात-बात मे ही नींद ले लेना
कभी इंतेजार मे किसी चीज़ की वो पल दो पल नींद की खुमारी से लड़ने का अलग ही मज़ा हैं !  बाकी - 
सोते तो सभी हैं- चादर तान-के बिस्तर मे पर वो  मस्त होके टेबल पे मूह रखके थोड़ी सी थूक निकल के ...सोने का अलग ही मज़ा हैं !

वो खुमारी मे..आके अंगड़ाई मे हाथ उठना फिर सोचना की अभी सोना क्यों?अभी तो नींद के साथ थोड़ा लड़ना-झगड़ना हैं ..मुझे....अभी तो उसके लिए जागना हैं ....यू इस तरह वो कॉफी बनाने जाती..हैं ! .....और कॉफी बनाते बनाते बेचारी मासूम खड़े खड़े एक छोटी सी झपकी लगा जाती हैं
इंतेज़ार मैं उसके वो 3-4 कप कॉफी के पी गयी साला ना वो आया और ना नींद, बेचारी क्या करे उसकी नींद तो कब की गयी ?
वो आया कुछ घंटे देर से..तडपा तडपा के उसे बस हो गयी साली लड़ाई ! ज़ालिम !
दोनो के रूठने मानने मैं साली रात जवान होके सुबह बन गयी बात जो करनी थी वो तो हुई नहीं लड़ाई परवान चढ़ गयी

अब फाइनली हीरो की लाख कोशिश और हाथ-पाँव जोड़ने के बाद हेरोइन मान गयी अपने लल्लू हीरो को पहचान गयी की उसका मोबाइल था खराब ..नेट ज़ालिम नही चल रहा था ...यह झूठ, झूठ- मूठ मान गयी ! ...फिर
फिर क्या आज की रात का वादा करके ....हेरोइन बेड मैं चादर तान गयी :)
अगली रात फिर हीरो ने नींद से करी लड़ाई पर हीरो की हेरोइन टाइम पे आई |