Thursday, 16 December 2010

100 रूपये मैं आता क्या है

 आज जब खली बैठा था रोजाना के जैसे मन मैं ख्याल आया "100 रूपये मैं आता क्या है "
पुछा मैंने अलग अलग लोगो से "क्या आता हैं १०० रूपये मैं ...और जवाब कुछ यू थे ...
१०० रूपये मैं मुझ गरीब का  हफ्ते भर का खाना हो जाता है...१०० रूपये मैं रोटी सब्जी और लकड़ी सब हो जाता है ..१०० रूपये  कामता हूँ बन जाती हैं बात
और अमीर बोला १०० रूपये मैं मेरा दाड भी गीला नहीं हो पता हैं....१०० रूपये मैं एक छोटा पिज्जा भी नहीं आता है  ....मजाक करते हो १०० रूपये  की क्या  है औकात 
एक ग्रेह्णी बोली १०० रूपये मैं मेरा सिन्दूर आ जाता हैं....वाही बाज़ार मैं कड़ी लड़की बोली १०० रूपये मैं उसकी जवानी का रस कोई छीन जाता हैं
१०० रूपये मैं किसी का बच्चा स्कूल मैं पढ़ जाता हैं १०० रूपये मैं किसी अमीर के बच्चे का एक पेन आता हैं
१०० रूपये मैं किसी के पूरे कपडे आ जाते है १०० रूपये मैं कुछ लोग अपनी चड्डी तक नहीं ले पाते हैं
१०० रूपये मैं कोई बस एक कॉफी पी जाता हैं ..१०० रूपये मैं वहीँ कोई ज़िन्दगी जी जाता हैं
दोस्तों से पुछा "१०० रूपये मैं क्या आता हैं जवाब थे सिग्गी का एक पैक ..१० दिन गोल्गापे..महेंदर पे TREAT हो जाता है
१०० रूपये किसी जरूरतमंद को देदो....उसका नसीब बन जाता है
ऐसे १०० रूपये ये सोच के दो की साला १०० रूपये मैं आता ही क्या है
पर हम ये ना सोच के सोचने लगते हैं आब "साला १०० रूपये  तो बहुत जादा हैं भाई ..१०० रूपये मैं बहुत कुछ आ जायेगा ..मेरे साला २ रूपये मैं ही इस बेचारे का काम बन जायेगा
१०० रूपये मैं आखिर आता ही क्या हैं sir  ? १०० रूपये की वजह से कई लोग काट देते हैं सर 
१०० रूपये मैं साला तुम्हारा क्या आ जायेगा १०० रूपये दो किसी जरूरतमंद को उसका तो लाइफ बदल जायेगा

Saturday, 23 October 2010

random Thoughts


wake up in the morning ..aah bug offf the alarm... He'll do my proxy yey
sleepless nights caz tomorrow is my exam have to study ...oye
it so happened the 5 years went so fast...even the present.... today looks as if.... it is damnnn THE Past
the time came i got my degree i couldn express brother...."did i loose....the LIFE" or have gained some other ....
friends are gone the profies set aback cultural activities dramatics....passion and almost everything snatched back
it feels like heaven when i was there....and right below is the story when damnnnn....i am HERE

wake up in the morning ..OH shit..euuuuu Yuck... i am late for work OHH lorD oh Fuck
sleeping at 12:00 was never my game....yess job is the culprit .corporate is the name
it so happend the last 1 year was damnnnn so slow.... going to office each day was a thought of big NO NO ....
the time came i just had my appraisal ....i wanted to express Oh ..damn u my brother ...but no one gave me any opportunity ...they juss spoke one after the other
friends yes i do remember but WE don't get time to share.....we are the same WE inside yes WE still do care 
it doesn feel like heaven anyday in here ...and yes this was all i had to share 

Tuesday, 19 October 2010

LIFE...how it izzzz

Once life had a meaning ,.....or say i atleast thought it had one......was silly ..was enthusiastic..was energetic.....talketive......curious,...wanted to conquer everything :D /...
there were people in life called friends ....there were moments in life called JOY all by themselves

now something occurred JOB occurred ...everything changed drastically friends got on to their paths...which led somewhere else....now only memories pertain ...
curiosity ..energy....enthusiasm without them have all diminished .....there's nothing in my vicinity know as friends  ,,,,,there is no phenomenon "Joy" occurring all by itself .. There is happiness but joy is missing 

i guess life changes after we get into corporate world ...i guess everyone ..called my friends feels similar to me....

Monday, 27 September 2010

ना जाने

ना जाने कितनी लाशे बिछी हैं सपनो की अरमानो की मेरे दुसरो के हाथ 
कुछ अरमान ऐसे भी हुए जिनका गला हमने खुद ही घोटा और नहीं छोड़ा तड़पने तक साथ 
कुछ तड़पते आरमान, अब  भी दिल और दिमाग मैं बसे हुए ही हैं शायद
या उनकी छवी सी मन मैं बस गए हैं और वो कब का दम तोड़  दिए हैं ...जा चुके हैं मेरी इस दुनिया से शायद
पर ये निरा मन नजाने क्यों उन सपनो को अरमानो की सडती  लाश की पहरेदारी करता रहता हैं 
कुछ अरमान नए आते हैं, कुछ नए खवाब  देखूं तो..... नजाने कौन उनका कतल करता हैं 
कभी लगता इन सब के पीछे कोई साज्ज़िश तो नहीं ??
कहीं कोई कर रहा इस बन्दे की आज़माइश तो नहीं 
ना जाने इतने सपने इतने अरमान क्यों आते हैं इस गरीब के मन मैं
और झूठे मूठे से इन खयालो से ये गरीब अमीर हो जाता है
किसी दूसरी सी ही दुनिया मैं खो जाता हैं ...
ज़िन्दगी पहेली सी बनती जाती हैं .,,,, साली ये अरमानो  की लाश बस सड़ते ही जाती हैं
नए अरमा नए ख्वाब देखता हूँ बेखबर  नयी लाशे नए कतल करता हूँ... करवाता हूँ ...भर भर कर 
फिर भी कहाँ आता हूँ मैं  बाज़, नए अरमानो को जीवन मैं भरता हूँ बस यूह करता हूँ अपनी ज़िन्दगी का आगाज़ 

Wednesday, 18 August 2010

महंगाई

जब  महंगाई  सर  चढ़  जाये ...जब  तनख्वाह  मैं  rise ना  आये ..जब  आपके  दोस्त  ऐश  करे  और  आपकी  जलती  जाये .
जब  हो  जेब  खली  बैंक  बैलेंस  tight..खुश  रहने   मैं  हो  जाये  fight ..
जब  लेने  हो  कपडे  LEE या  levis, सोच  मैं  पढ़े  मन  और  आये  अंदर  से  voice
आपकी  निगाहें  KOUTONS या  charlie outlaw के  80% पे  गढ़  जाये  और  लगे  यही  हैं  राईट  चोइस
जब  बाहर जाके  भी  pizza की  जगह  समोसा  खाना  पढ़े  मेरे  भाई  …

मोबाइल recharge करने से पहले सोचन पढ़े....पेट्रोल के दाम की वजह से गाड़ी को शेयर करने लगे
Accounts मैं पैसे का हिसाब किताब करते रात भर जगराता करने लगे...
आपके treats चाय की थडी पे होने लगे...DUTCH TREAT मैं आपकी जान सूखने लगे मेरे भाई 
समझ  लो  भैया  महंगाई  ने  आच्छे  से   तुम्हारी  माँ  हैं  लगाई...... :) 

Wednesday, 7 April 2010

दुःख

well this one came off in general ...nothing so spcl !
मैं आसमा सा विशाल हूँ, सागर सा गहरा हूँ
बर्फ की ठंडक से ठंडा हूँ, सूरज की गर्मी से गरम हूँ
मैं सर्व विद्यमान हूँ, मैं "दुःख" हूँ
आता हूँ जाता हूँ ....और फिर से लौट के आता हूँ
कभी कम कभी जादा....तुमको सताता हूँ
रात-दिन, सुबह या शाम, कभी नहीं भुला पाते हो तुम मेरा नाम
सुख मैं भी मेरे न आने की कामना करते हो
तुम मुझे अपनी ज़िन्दगी से कहाँ अलग करते हो
कभी आता हूँ कभी तुम खुद मुझे लेके आते हो
दुःख कब जायेगा ज़िन्दगी से,  प्रभु से बस ये ही गुहार लगते हो 
किसी के दुःख से दुखी होते हो और किसी के दुःख को देख लेते मज़ा
मैं "दुःख" लाता हूँ ज़िन्दगी मैं सज़ा
मैं चिरस्थायी हूँ, जीवंत हूँ ..... मैं हूँ सर्वगामी,
मैं ही हूँ ओ मानव तुम्हारे बुरे वक्त का स्वामी
कुछ लोग दुःख मैं भी खुश रह पते हैं
ऐसे  ही लोग ज़िन्दगी मैं आगे बढ़ पाते हैं
.दुःख को बुरे वक्त मैं अपना साथी बनाओ ....इस दुःख से डर  के नज़र न चुराओ
 दुःख मैं डटे रहो हारो ना लड़ने से पहले तुम  खो ना देना आस
दुःख ही करता हैं सुख को सुखी का  आभास 

Monday, 29 March 2010

.........

तेरे एहसास को तरसना, तेरी छुअन को न महसूस कर पाना
तेरी परछाई को पर्छियों में तलाशना, तेरी आहट होने का  इंतज़ार करना
तेरी होटों से दो शब्द सुनने की तमन्ना रखना, तेरी साए में रहने की गुज़ारिश करना
तेरे हर कदम पे तेरा साथ देने की तमन्ना, तेरे साथ को तरसना
तेरे बिन हर पल यूँ छटपटाना, अधुरा अधुरा सा महसूस करना
तेरे बिन बस यूँ ही जीने के लिए सांसे लेना, ज़िन्दगी का अर्थ - व्यर्थ समझना
तेरे साथ जिंदगी का अर्थ तलाशने  की तमन्ना रखना, सांसो को जीवंत करना 
तू मिल जाये बस दिन रात यही दुआ करना, तू खुश रहे यही कामना करना
तेरे बिन  कैसी है ये  बेकरारी , तू मिल जाये तो ज़िन्दगी मैं फिर से भरेंगी खुशियाँ सारी
तेरे गोद में सर रख के सोने की तमना रखना, तेरे साये में ज़िन्दगी बसर करना ...
तेरे साथ घंटो बातें करने , सूरज जला के बुझाना यही तमन्ना करना   .
तेरे बिन जी न पाएंगे हम, तू समझता नहीं इस प्यार को मेरे .....बस इस दीवानी का यही हैं गम

  

Sunday, 28 March 2010

तुम

आंसू  भी  सुख  गए  ..
तेरी  तस्वीर  से   रंग  गए ....
तू  नहीं  पर  तेरी  यादें  थी  यही
तेरे  सिवा  मेरा  अपना  कोई  नहीं .....
जाना  था  तुझे , पाना  था  तुझे .....
एक  ही पल  में  अपना  सबकुछ माना  था  तुझे
फिर  एक   पल  में  हम तुमसे  जुदा  हो  गए
हम  नजाने  फिर  से  क्यों  अनजाने  हो  गए .....
सोचा  था  जी  लूँगा  बिना  तेरे  यहाँ
पर तेरी  यादो  से  बच  के  जाऊँगा  मैं कहाँ
तुझे  भुला  नहीं  पता  हूँ
तेरी  यादों  मैं  तन्हाई  से  लिपट सा  जाता  हूँ
आंसू  आब  नम  हो  गए  हैं .....
तुम्हारी  याद  मैं  इस जीवन  के  पल  और काम  हो  गए  हैं
तुम  वापिस  आओगे  मेरे  पास,
बस  यही  करता रहता  है   दिल  मेरा,  याद करते हुए आस |

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बीरेन भाटिया