एक आवाज़ सी आई ...पलट के देखा कोई नहीं था, सोचा किसी दोस्त ने पुकारा होगा या कोई रिश्तेदार होगा
तभी दिमाग से आवाज़ आई, अरे भाई ...रिश्ते नातो की सारी डोर तो तू पहले ही तोड़ आया हैं, अब पलट के क्या होगा, ..........सोच में पडा और .....ये सब लिख बैठा मैं ,
सबसे अलग सबसे दूर हो गया मैं, सबे मिलता था , हस्त खेलता था, अब खामोश हो गया हूँ मैं ,
बदलना चाहता नहीं था, पर बदल गया हूँ मैं, दूर जाना नहीं चाहता था पर दूर आ गया हूँ मैं
चेहरे पे हँसी रखता हूँ , हँसता हूँ - हसता हूँ , दिखता हूँ टेंशन नहीं हैं, पर घबराता हूँ, अब दुखी रहता हूँ मैं
याद तो बहुत कुछ हैं पर, आब उन यादो को भूलता जा रहा हूँ मैं ,
कहने को नए दोस्त बनाये हैं, उन दोस्तों मैं पुराने यारु की छवी ढूँढता हूँ मैं
कहीं ख़ुशी मिलती है पल भर के लिए तो उसके बाद के गम को सोच कर....उससे खुस हो जाना भूल जाता हूँ मैं
कभी सोना भूलता हूँ, तो कभी जागना भूल जाता हूँ मैं,
जिनसे प्यार हैं, उनसे इज़हार भी नहीं कर पता हूँ मैं
कुछ करना चाहता हूँ, फिर से बदलना चाहता हूँ पर आब बदल नहीं पा रहा हूँ मैं
ये बदलाव कहीं फिर से उन छवी वाले दोस्तों से दूर न करदे.....और फिर से बिलकुल अकेला हो जाऊं मैं
सोचा था ख़ुशी का क्या कहीं भी मिल जाएगी, पर ख़ुशी भी हर किसी के साथ ख़ुशी बन के नहीं रहती और यही सब सोचता रहता हूँ मैं
दुसरे कुछ कहते हैं, कुछ दिल की बतलाते हिं, पर दिल का हाल कुछ भी बता नहीं पता हूँ मैं
अपने आप से केई वादे करता हूँ, फिर हर वादे को तोड़ता जाता हूँ मैं
सवालो से घिरा हुआ हूँ, जवाब चाहता हूँ मैं
किसी अपने की, आवाज़ - पुकार सुनना चाहता हूँ मैं
Saturday, 19 December 2009
Thursday, 18 June 2009
Mr ME
It is simple yet complex because of the simplicity it carries out with itself,
Its essential, its adaptable and can be lost
I am scared, afraid..Deep inside, to show the world, the REAL mee
Once they know, they may or may not like mee
I adapt, I change from person to person in course of meeting them, knowing them
I evolve, I am YOUR "Identity" the REAL you inside YOU.
I see the mirror and sometimes i cannot see Mee, caz you are busy adapting or evolving
One question digs me deeep down "is there anyone out there, who really understands REAL me"
caz its not even me, who knows this me
I do things that this inner me says no to and not doing some he says yes to
making it angry and mad at me and now this inner ME has decided not to show, talk
It does not care anymore about me, and stays in some other Dimension, a dimension where me tries to go and catch it but it wanders freely from one ZONE to another but i have to stop the search caz me has boundaries, limitation it cannot cross or say doesn wanaa cross
so me stops and this me and inner me have created a Dual in my life
i am confused and in a state of duality what to do....hope both of them end this dual and ....meet to become ME :)
Its essential, its adaptable and can be lost
I am scared, afraid..Deep inside, to show the world, the REAL mee
Once they know, they may or may not like mee
I adapt, I change from person to person in course of meeting them, knowing them
I evolve, I am YOUR "Identity" the REAL you inside YOU.
I see the mirror and sometimes i cannot see Mee, caz you are busy adapting or evolving
One question digs me deeep down "is there anyone out there, who really understands REAL me"
caz its not even me, who knows this me
I do things that this inner me says no to and not doing some he says yes to
making it angry and mad at me and now this inner ME has decided not to show, talk
It does not care anymore about me, and stays in some other Dimension, a dimension where me tries to go and catch it but it wanders freely from one ZONE to another but i have to stop the search caz me has boundaries, limitation it cannot cross or say doesn wanaa cross
so me stops and this me and inner me have created a Dual in my life
i am confused and in a state of duality what to do....hope both of them end this dual and ....meet to become ME :)
Thursday, 30 April 2009
कल कुछ आपनी ही उधेड़बुन मैं था, खोया था मैं खयालो में, ढूँढ रहा था सवाल आपने सवालो में
अगर खुशी मिल जाए आज तो, कल क्या रहेगी इसीके ख्याल मैं ये खुशी निकल जायेगी |
आधी ज़िन्दगी बीत जायेगी इस ख्याल में की आगे का क्या?और बाकि आधी इसी ख्याल में की पहले ये क्यों किया
हम क्यों नहीं आपने आज में जी पाते हैं, कल की फ़िक्र कल पर छोड़ के हम क्यों नहीं खुल के खुशी बनते हैं |
मेरी खुशी को कही किसी और की नज़र न लगे इसलिए पड़ोसी से तो छोड़ो अपने रिश्तेदारों से भी छुपाते हैं
हर पल हर समय एक इन्सेकुरिटी सी महसूस करते हैं, जिससे प्यार करते हैं, उसी पे सबसे जादा शक करते हैं |
इसके घर में ये हुआ उसके घर में वो आया की उधेड़बुन में ख़ुद के घर को नज़रंदाज़ करते हैं
अपने सर पर मुसीबत आती हैं तो वो मुसीबत लगती हैं, दुसरो की मुसीबत मुसीबत कहाँ लगती हैं
कहीं कोई गिरा होता है तो बस यही सोच के आगे बढ़ जाते हैं , कोई तो उठा ही लेगा
जब ख़ुद ठोकर खाते हैं तो सहारा तो छोटी चीज्ज़ हैं मरहम ही आस लगा लेते हैं
न सहारा मिलता हैं न मरहम तो कहते हैं दुनिया कितनी बेदर्द हैं, जालिम हैं मतलबी है
इसे जालिम मतलबी हम ने ही तो बनाया हैं, हर छोटी बड़ी चीज़ के ज़िम्मेदारी कही न कहीं हमारी ही हैं
वो थोडी सी लापरवाही, वो थोडी सी लालच, वो थोड़ा सी जिम्मेदारी न निभाना सब कुछ
दिल से कोई बुरा नहीं होता, उसके आसपास के हालत उन्हें ऐसा बनने पे मजबूर करते हैं
ऐसा कमज़ोर कैरेक्टर के लोग कहते हैं, जिनका ज़मीर बहुत कमज़ोर होता हैं
अगर हम आज से ही सही निति अपनाए जिम्मेदारियां पूरी करें लापर्वाव्ही न करे तो ऊपर लिखी कोई चीज़
हमारे दूर दूर तक नही आएगी, और ये ज़िन्दगी आची हो जायेगी
वापिस अपनी उधेड़बुन से वापिस आता हूँ , कहीं और अपने खयालो का जाल बनता हूँ
बिरेन भाटिया
अगर खुशी मिल जाए आज तो, कल क्या रहेगी इसीके ख्याल मैं ये खुशी निकल जायेगी |
आधी ज़िन्दगी बीत जायेगी इस ख्याल में की आगे का क्या?और बाकि आधी इसी ख्याल में की पहले ये क्यों किया
हम क्यों नहीं आपने आज में जी पाते हैं, कल की फ़िक्र कल पर छोड़ के हम क्यों नहीं खुल के खुशी बनते हैं |
मेरी खुशी को कही किसी और की नज़र न लगे इसलिए पड़ोसी से तो छोड़ो अपने रिश्तेदारों से भी छुपाते हैं
हर पल हर समय एक इन्सेकुरिटी सी महसूस करते हैं, जिससे प्यार करते हैं, उसी पे सबसे जादा शक करते हैं |
इसके घर में ये हुआ उसके घर में वो आया की उधेड़बुन में ख़ुद के घर को नज़रंदाज़ करते हैं
अपने सर पर मुसीबत आती हैं तो वो मुसीबत लगती हैं, दुसरो की मुसीबत मुसीबत कहाँ लगती हैं
कहीं कोई गिरा होता है तो बस यही सोच के आगे बढ़ जाते हैं , कोई तो उठा ही लेगा
जब ख़ुद ठोकर खाते हैं तो सहारा तो छोटी चीज्ज़ हैं मरहम ही आस लगा लेते हैं
न सहारा मिलता हैं न मरहम तो कहते हैं दुनिया कितनी बेदर्द हैं, जालिम हैं मतलबी है
इसे जालिम मतलबी हम ने ही तो बनाया हैं, हर छोटी बड़ी चीज़ के ज़िम्मेदारी कही न कहीं हमारी ही हैं
वो थोडी सी लापरवाही, वो थोडी सी लालच, वो थोड़ा सी जिम्मेदारी न निभाना सब कुछ
दिल से कोई बुरा नहीं होता, उसके आसपास के हालत उन्हें ऐसा बनने पे मजबूर करते हैं
ऐसा कमज़ोर कैरेक्टर के लोग कहते हैं, जिनका ज़मीर बहुत कमज़ोर होता हैं
अगर हम आज से ही सही निति अपनाए जिम्मेदारियां पूरी करें लापर्वाव्ही न करे तो ऊपर लिखी कोई चीज़
हमारे दूर दूर तक नही आएगी, और ये ज़िन्दगी आची हो जायेगी
वापिस अपनी उधेड़बुन से वापिस आता हूँ , कहीं और अपने खयालो का जाल बनता हूँ
बिरेन भाटिया
random blabber of my thoughts
Something's happening, all my memories are in a blurr, i don't know where are they heading to
People, relations, friends, foes, nothing matters anymore...don't know what i am becoming
a living Zombie with emotions....dying day by day, i know the cure but i don't want to be cured
old memories be it bitter or bad...oH i forgot "GOOD"are gone, i don't remember myself anymore
when was the last i was me, i don't know, i don't even remember who i was,
all the time i use to say, be yourself be yourself and now ? where is this self gone
its lost in adapting, lost in translation,
i am Lost, noone ot turn to, never spoken my heart off "REALLY" to anyone,
just pretend i am good, inside i am all evil, waiting to sting
i don't know when and why i have translated to this phenom
but thats what i am, i wana be myself again break free but
i bound myself again, i wana prove myself but i fail again and again
i don wana play this good boy mask again, but cant help it out
i always think if i had some superpower, i would be a great individual, i could do this and that
but deep down ..i know i wanted it so that i be special, people praise me, fear from me respect !
is what i thought i'll get but the very thought of power rings the bell in my head
What if ? it turns onto the evil side, what ifff?
as i don't know what i am becoming ....but i come back to my senses and start thinking again
Like a normal human being....:P a NORMAL HUMAN BEING
thats what i am and thats what i don't wanna be, a common man
but is my confusing me a normal person to a common man ?
i say to my mind "man Stay Focussed" you gotta believe in me you gotta believe in yourself
i get no rely and he does what he wants to and i just move and act like a puppet
acting on a script .. which i feel i written and then again some pages torn and then again written
some places where written in ink and it seems it got faded ans sometimes it feels
somewhere my story is unwritten there's unfinished pages....blank..all those moments gone which could have been there, which could have been special, which were memorable
But again my mind plays a game and the heart comes into picture my friend
it says you are the creator of you own destiny and all the moments u are talking about are nothing but moments that will be made by you, and u will remember how special those moments were beacuse you were there in their formation and not beacz they were juss good moments
so my pal tHink back and live again play ur part welll, evil or good all upto you
Live...FOrever
Biren Bhatia
People, relations, friends, foes, nothing matters anymore...don't know what i am becoming
a living Zombie with emotions....dying day by day, i know the cure but i don't want to be cured
old memories be it bitter or bad...oH i forgot "GOOD"are gone, i don't remember myself anymore
when was the last i was me, i don't know, i don't even remember who i was,
all the time i use to say, be yourself be yourself and now ? where is this self gone
its lost in adapting, lost in translation,
i am Lost, noone ot turn to, never spoken my heart off "REALLY" to anyone,
just pretend i am good, inside i am all evil, waiting to sting
i don't know when and why i have translated to this phenom
but thats what i am, i wana be myself again break free but
i bound myself again, i wana prove myself but i fail again and again
i don wana play this good boy mask again, but cant help it out
i always think if i had some superpower, i would be a great individual, i could do this and that
but deep down ..i know i wanted it so that i be special, people praise me, fear from me respect !
is what i thought i'll get but the very thought of power rings the bell in my head
What if ? it turns onto the evil side, what ifff?
as i don't know what i am becoming ....but i come back to my senses and start thinking again
Like a normal human being....:P a NORMAL HUMAN BEING
thats what i am and thats what i don't wanna be, a common man
but is my confusing me a normal person to a common man ?
i say to my mind "man Stay Focussed" you gotta believe in me you gotta believe in yourself
i get no rely and he does what he wants to and i just move and act like a puppet
acting on a script .. which i feel i written and then again some pages torn and then again written
some places where written in ink and it seems it got faded ans sometimes it feels
somewhere my story is unwritten there's unfinished pages....blank..all those moments gone which could have been there, which could have been special, which were memorable
But again my mind plays a game and the heart comes into picture my friend
it says you are the creator of you own destiny and all the moments u are talking about are nothing but moments that will be made by you, and u will remember how special those moments were beacuse you were there in their formation and not beacz they were juss good moments
so my pal tHink back and live again play ur part welll, evil or good all upto you
Live...FOrever
Biren Bhatia
Sunday, 1 March 2009
सुपर गर्ल फ्रेंड
मेरी प्यारी सुपर गर्ल फ्रेंड,
तुम्हारी हरकतों से मैं आब परेशान हो चुका हूँ, बिना टिकेट के हवाई यात्रा करके मैं तंग आ चुका हूँ
वो तुम्हा सुपर Vision मुझे किसी और से फ्लिर्ट मारने नहीं देता
कभी कुछ कहीं करा रहा होता हूँ तो तुम वहां टपक पढ़ती हूँ और फ़िर ,
राम बचाए न जाने किस किस के घर पे मुझे पटकती हूँ
मैं अदना सा आदमी तुम्हारे सामने बेबस पढ़ जाता हूँ
हर गलती के बाद चुप चाप तुमसे पिट ता हूँ , और अगले दिन न पीटने की कामना करते जाता हूँ
मेरी सोशल लाइफ की तो तुमने बैंड ही बजादी हैं, मेरे दोस्त और मेरी सहेलियूं (GF's) की जान कई बार निकली हैं
आब वो मुझसे मिलना पसंद नहीं करते, तुमसे ब्रेक उप कर लूँ ऐसी सलाहाओ से मेरे कान हैं भरते
कहीं भी जाता हूँ तुम्हारा terror मुझे सताता हैं, बाथरूम तक मई तुम्हारा ये X-ray visioN साथ आता हैं
दुनिया के लिए तुम सुपर हीरो हो, पर मेरी ज़िन्दगी की सुपर विल्लन बनना बंद कर दो
या तो साधारण लड़की की तरह मेरे साथ रहो या मुझे तुम्हे छोड़ने की आगया प्रदान कर दो
जनता हूँ इसके बाद फ़िर उठा पटक करोगी मेरी शरीर को अस्त व्यस्त करोगी
पर मैं भी आम आदमी हूँ आम आदमी की ज़िन्दगी चाहता हूँ पिटने की आदत हैं एक बार और सही,पिट लूँगा
एक सुपर गर्ल फ्रेंड नहीं, एक प्यार करने वाली प्यारी सी नोर्मल लड़की को पाकर ही दम लूँगा
या तो तुम नोर्मल हो जाओ, या मुझे सुपर पॉवर दिलाओ
कुछ और नहीं कर सकती तो अपने ज़िन्दगी का सुपर हीरो बनाओ
वरना मैं तुमसे पीटने का इन्ताजार तो कर ही रहा हूँ
भवदीय
नोर्मल बॉय फ्रेंड
तुम्हारी हरकतों से मैं आब परेशान हो चुका हूँ, बिना टिकेट के हवाई यात्रा करके मैं तंग आ चुका हूँ
वो तुम्हा सुपर Vision मुझे किसी और से फ्लिर्ट मारने नहीं देता
कभी कुछ कहीं करा रहा होता हूँ तो तुम वहां टपक पढ़ती हूँ और फ़िर ,
राम बचाए न जाने किस किस के घर पे मुझे पटकती हूँ
मैं अदना सा आदमी तुम्हारे सामने बेबस पढ़ जाता हूँ
हर गलती के बाद चुप चाप तुमसे पिट ता हूँ , और अगले दिन न पीटने की कामना करते जाता हूँ
मेरी सोशल लाइफ की तो तुमने बैंड ही बजादी हैं, मेरे दोस्त और मेरी सहेलियूं (GF's) की जान कई बार निकली हैं
आब वो मुझसे मिलना पसंद नहीं करते, तुमसे ब्रेक उप कर लूँ ऐसी सलाहाओ से मेरे कान हैं भरते
कहीं भी जाता हूँ तुम्हारा terror मुझे सताता हैं, बाथरूम तक मई तुम्हारा ये X-ray visioN साथ आता हैं
दुनिया के लिए तुम सुपर हीरो हो, पर मेरी ज़िन्दगी की सुपर विल्लन बनना बंद कर दो
या तो साधारण लड़की की तरह मेरे साथ रहो या मुझे तुम्हे छोड़ने की आगया प्रदान कर दो
जनता हूँ इसके बाद फ़िर उठा पटक करोगी मेरी शरीर को अस्त व्यस्त करोगी
पर मैं भी आम आदमी हूँ आम आदमी की ज़िन्दगी चाहता हूँ पिटने की आदत हैं एक बार और सही,पिट लूँगा
एक सुपर गर्ल फ्रेंड नहीं, एक प्यार करने वाली प्यारी सी नोर्मल लड़की को पाकर ही दम लूँगा
या तो तुम नोर्मल हो जाओ, या मुझे सुपर पॉवर दिलाओ
कुछ और नहीं कर सकती तो अपने ज़िन्दगी का सुपर हीरो बनाओ
वरना मैं तुमसे पीटने का इन्ताजार तो कर ही रहा हूँ
भवदीय
नोर्मल बॉय फ्रेंड
अजीब
सुबह से रात शुरू हो जाती है खामोशियों मैं बात शुरू हो जाती है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है
पेड़ की छावं मैं शरीर जलता है , रेगिस्तान का सूरज मुझे सर्द करता है
घड़ी के कांटे उल्टे चलते नज़र आते है, दिसम्बर के बाद नवम्बर और फ़िर अगस्त आता दिखने लगता है
मान परेशां हो उठता है तो थका लगता हूँ, और खुस होता हूँ तो गुम्सुस्म हो जाता हूँ
जी हाँ मैं अदाकार हूँ, कलाकार हूँ अपने भावः छुपाना जनता हूँ
चाहे जो हो कहा जाता हैं "शो मुस्त गो ओन्" बस यही एक बात जानता हूँ
सुबह को दिन मानता हूँ, और वास्तविकता से सबको दूर ले जाता हूँ
मैं अदाकार हूँ अपने मध्यम से आपको सपने दिखता हूँ , आपका बस थोड़ा ध्यान चाहता हूँ
कभी हस्ते हस्ते रोता हूँ कभी झूट मैं मर जाता हूँ कभी बिना चोट के खून निकालता हूँ
और कभी रोते हुए भी आपको हसता हूँ, मेरा कोई अस्तित्व नहीं हैं
बस आत्मा जिससे शरीर बदलती हैं मैं किरदार बदलता हूँ, और आपको नायेपान की फीलिंग देता हूँ
जी हाँ मैं किरदार के साथ जीने लगता हूँ, वैसा सोचने लगता हूँ
फ़िर थोड़े दिनों मैं उस किरदार की हत्या करके नए किरदार को अपनाता हूँ
ऐसा नजाने कितने लोगो के खून का इल्जाम, इस खयाली दुनिया मैं अपने सर पे लगाता हूँ
मैं अदाकार हूँ बस अदाकारी जानता हूँ, प्यार, नफरत बस भावः हैं यही मानता हों
प्यार होता है कभी या नफरत हो जाती हैं तो उसे किसी नए किरदार मैं उतरता हूँ
अदाकार हूँ मुझे बस यही शिकायत हैं ख़ुद से की मेरी
सुबह से रात शुरू हो जाती है खामोशियों मैं बात शुरू हो जाती है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है
पेड़ की छावं मैं शरीर जलता है , रेगिस्तान का सूरज मुझे सर्द करता है
घड़ी के कांटे उल्टे चलते नज़र आते है, दिसम्बर के बाद नवम्बर और फ़िर अगस्त आता दिखने लगता है
मान परेशां हो उठता है तो थका लगता हूँ, और खुस होता हूँ तो गुम्सुस्म हो जाता हूँ
जी हाँ मैं अदाकार हूँ, कलाकार हूँ अपने भावः छुपाना जनता हूँ
चाहे जो हो कहा जाता हैं "शो मुस्त गो ओन्" बस यही एक बात जानता हूँ
सुबह को दिन मानता हूँ, और वास्तविकता से सबको दूर ले जाता हूँ
मैं अदाकार हूँ अपने मध्यम से आपको सपने दिखता हूँ , आपका बस थोड़ा ध्यान चाहता हूँ
कभी हस्ते हस्ते रोता हूँ कभी झूट मैं मर जाता हूँ कभी बिना चोट के खून निकालता हूँ
और कभी रोते हुए भी आपको हसता हूँ, मेरा कोई अस्तित्व नहीं हैं
बस आत्मा जिससे शरीर बदलती हैं मैं किरदार बदलता हूँ, और आपको नायेपान की फीलिंग देता हूँ
जी हाँ मैं किरदार के साथ जीने लगता हूँ, वैसा सोचने लगता हूँ
फ़िर थोड़े दिनों मैं उस किरदार की हत्या करके नए किरदार को अपनाता हूँ
ऐसा नजाने कितने लोगो के खून का इल्जाम, इस खयाली दुनिया मैं अपने सर पे लगाता हूँ
मैं अदाकार हूँ बस अदाकारी जानता हूँ, प्यार, नफरत बस भावः हैं यही मानता हों
प्यार होता है कभी या नफरत हो जाती हैं तो उसे किसी नए किरदार मैं उतरता हूँ
अदाकार हूँ मुझे बस यही शिकायत हैं ख़ुद से की मेरी
सुबह से रात शुरू हो जाती है खामोशियों मैं बात शुरू हो जाती है
रात को सुबह माना है , मैंने अपने सिवा बाकि सभी को जाना है
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